मां

मां 

मां आज अकेले अंधेरे कमरे में छत पर मैं चढ़ा हुआ
तेरी आरती कि आवाज सुनाई दी तो उठ में खड़ा हुआ
गुस्सा आया घरवालों पर कि आरती का मुझे बताया नहीं
पर कदम आगे बढाये तो अड़ंगा था अड़ा हुआ
दरअसल पहली बार किसी ने ऐसी  धुन गुनगुनाई थी
मुझे मेरे घर जैसी आरती दुसरे के घर से सुनाई थी
मां पुरा समर्पित होने के बाद भी में किसी को नहीं भाता

शायद मुझे दिलों में जगह बनाना नहीं आता
शायद मुझे दिलों में जगह बनाना नहीं आता

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