justice for manisha
#सरकार कभी #रेप #बंद नहीं #करवा सकती,
अगर #मार सको तो #अपने #अंदर के #बलात्कारी को #मार दो
रेप, #ज्यादातर #जरुरत से ज्यादा #विश्वास के बाद ही #होते हैं , जैसे कि, ये हमारे सर हैं, ये हमारे Boss हैं, ये भैया हैं, ये पड़ोसी हैं , ये दोस्त हैं, ये रिश्ते दार है, और हम ये भी नहीं जानते कि
नेता, अधिकारी, पुलिस, मिडिया कर्मी, दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी, पंडित मौलाना, कौन कब और कहां एक बलात्कारी के रुप में सामने आ जाएं, इसकी सबसे बड़ी बजह है विश्वास क्योंकि हम बहुत जल्दी लोगों पर जरुरत से ज्यादा विश्वास कर लेते हैं और सबसे बड़ी गलतफहमी हमारी ये है कि, हम ये सोच लेते हैं कि ये , इतनी बड़ी पोस्ट पर है ये ऐसा नही करेंगे , पर हम नहीं जानते कि कब किसके दिमाग में क्या चल रहा होता है,, जैसे कि भोपाल में एक केस हुआ , दो रेलवे के बड़े अधिकारियों ने स्टेशन के ही आफिस में जाॅब के नाम पर एक लड़की को बुलाया और फिर उसके साथ रेप किया,, विश्वास करिये , क्योंकि ये दुनिया विश्वास पर ही टिकी है पर विश्वास करने से पहले सोचिए समझिए और जान लिजिए कि आदमी कैसा है, तब जाकर विश्वास करिये, क्योंकि 90% बलात्कार के केस में लड़कियों का रिश्तेदार या पहचान का ही होता है, ऐसे रोज कई सारे केस होते हैं हमारे देश में पर 90% ऐसे केस दब जातें हैं ,, एकाध दो ही उठ पाते हैं वो भी ज्यादा केस बड़ जाएं तो ,,,, और कहने को तो सारे शहर में लड़कियां सुरक्षित है और होने को रेप घरो में हो जातें हैं, सोशल मीडिया, बाॅलीवुड ने इतनी गंदगी भर दी है लोगों के दिमाग में कि कब कहां बलात्कारी पैदा हो जाएं हम सोच नहीं सकते,,,, बलात्कार के तुरंत बाद पिडिता को न्याय ना मिल पाना इसमें दोष सरकार का नहीं उन पुलिस वालों का उन अधिकारियों का उन वकिलो का है जो चंद पैसों के लिए अपना ज़मीर बेंच देते हैं,, उनकी बहन बेटियों के साथ बलात्कार हो तो उन्हें पता चलें ,और ये 10,20 साल कि सजाएं या फांसी देने से बलात्कारियों के दिलों में डर पैदा नहीं होगा ,, डर पैदा तब होगा जब इन्हें चौराहे पर जिंदा जलाया जाएं,, पर अफसोस कुछ दिन में ही हमलोग भुल जाएंगे ये भी,
Justice for manisha
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