बुरे वक्त में कोई अपना नहीं होता

जो इक बार टुट गया फिर टुटे हुए शख्श का कोई सपना नहीं रहता



में बुरे वक्त में यहां सबका होने चला था
पर बुरे वक्त में यहां कोई अपना नहीं रहता

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