ज़रुरी नहीं

ज़रुरी नहीं कि सोशल मीडिया पर देखकर ही हम जागें

अगर आंखें खुली रखो तो आपके आसपास में कई ऐसे गरीब बाबा भईया दादी भाई बहन‌ के ढावा, दुकान,ठेला हैं जिन्हें आप रोज ignore करके सिर्फ दिखावे के और कुछ selfie के लिए बड़े बड़े रेस्टोरेंट और माॅल में जातें हैं,, हमारा attitude हमारा पैसा एक दिन साईड में रखकर किसी गरीब कि टपरी में चाय कि चुस्कियां लेकर देखो रेस्टोरेंट से अच्छा सुकून ना मिले तो कहना, लेकिन हम नहीं सुधरेंगे क्यु कि हम जो खिलोना माॅल में से 500 रुपए का लेकर आते हैं और वो ही‌ फुटपाथ पर 50 में मिले तो हमारा भाव करना पक्का है 

यही वजह है कि गरीब और गरीब होता जाता है और अमीर और अमीर

Comments

Popular posts from this blog

middle class

गैम खेल रहा है