मौसी एक साल बीत गया तुम्हारे जाने के बाद, लेकिन तुम्हारी कमी अभी भी महसूस होती है, और शायद ज़िंदगी भर रहे, मौसी कहा करता था में ,, लेकिन प्यार और फिक्र मां कि तरह मिली है, में ऐसे रिश्ते नहीं मानता जिसमें प्यार, फिक्र और कद्र ना हो, रिश्ता सिर्फ वही होता है जिसमें हम एक दूसरे कि खुशी और मुसिबत में साथ हों , मुसिबत में साथ आने वाला कोई पराया भी होता है तो वो, अपना ही होता है और मुसिबत में साथ छोड़ने वाला अगर खुन का रिश्ता भी हो तो हमारा क्या काम का, में जब भी घर आता था तो मुझसे हमेशा खाना कि पुछा करती थी, में मना करता था तो गुस्सा होकर बोलती थी कि तु हमारे यहां कभी खाना नहीं खाता,, आपकी हर डांट में प्यार और फिक्र छुपी रहती थी, मां भी छोटी छोटी खुशियां और हर छोटी छोटी problem तुमसे share करने आती थी, कहा करती थी कि बड़ी बहन है तो मां समान ही है,,,, , बस भगवान कि एक गलत आदत है कि अच्छे लोगों को अपने पास जल्दी बुला लेता है,,,, रिश्ते बहुत है अभी भी ,, पर जिन रिश्तों कि मौजुदगी का एहसास और ना होने कि कमी, महसूस ना हो, तो ऐसे रिश्ते ना होने के बराबर ही है ,, आपकी मौजुदगी ,का एहसास होता था