तुम्हें याद है

तुम्हें याद है जब स्टेशन से लोटते वक गायत्री मंदिर के सामने अन्ना के ठेले पर हमने डोसा खाया था ,, मेरी जिंदगी का वो एक यादगार लम्हा बनकर रह गया , अब कभी जब वहां से निकलता हूं तो उस ठेले के पास रुककर तुम्हें महसूस करता हूं तो लगता है कि तुम अभी भी मेरे साथ हों ,,और मुझसे बोल रही हो खा ले भाई डोसा मुझे भी भुख लगी है , तो मैं भी खा लुंगी ,, बस इतना याद आते ही आंख में आसू आ जाते हैं और में बहा से निकल लेता हूं ,खैर,  तुम तो भुल गई होगी सब,जब मुझे भुल गई तो, (एक भाई)

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