किसी के मर जाने के बाद लोग बहुत प्यार दिखाते हैं सब बड़ा,बड़ा अच्छा,अच्छा बोलते हैं नज़्म शेर गीत लिखते हैं वो कैसे सुनेगा ये सब जिंदा रहते हुए क्यूं नहीं करते
कुछ ऐसी महान आत्मा भी है हमारे शहर में शबरी के झूठे बैर खाते हुए राम जी को देखते हैं,,, तो रो पड़ती हैं पर घर में काम वाली वाई को अलग कप में चाय देती हैं
बादलों की गड़गड़ाहट अक्सर गरीबों के दिल में डर पैदा करती है जब हंसी छिन जाये चेहरे कि तो तन्हाई का घर पैदा करती है कोई टुट जाता है तो दिलों में आंसुओ का भराव होता है तब जाकर ये मौसम इतना खराब होता है
ख्यालों में भी उसे बदनाम नहीं किया है ये ज़ुल्म मुझसे नहीं हुआ, मैंने नहीं किया है में इक शख्स जिसने सच्ची मोहब्बत कि तो क्या ववाल हो गया मौहब्बत के नाम पर लोगों ने क्या क्या नहीं किया है
मां मां आज अकेले अंधेरे कमरे में छत पर मैं चढ़ा हुआ तेरी आरती कि आवाज सुनाई दी तो उठ में खड़ा हुआ गुस्सा आया घरवालों पर कि आरती का मुझे बताया नहीं पर कदम आगे बढाये तो अड़ंगा था अड़ा हुआ दरअसल पहली बार किसी ने ऐसी धुन गुनगुनाई थी मुझे मेरे घर जैसी आरती दुसरे के घर से सुनाई थी मां पुरा समर्पित होने के बाद भी में किसी को नहीं भाता शायद मुझे दिलों में जगह बनाना नहीं आता शायद मुझे दिलों में जगह बनाना नहीं आता